गरीबों के मसीहा बने डॉक्टर मनीष यादव l
कोरोना योद्धा के रूप में सम्मानित, मरीजों के प्रति सरल व्यवहार और सेवा भावना ने दिल जीता l

सुलतानपुर।
जिला अस्पताल सुलतानपुर में तैनात डॉ. मनीष यादव न सिर्फ़ अपने पेशेवर दायित्वों को पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं, बल्कि गरीब और असहाय मरीजों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं साबित हो रहे हैं। कोरोना महामारी के कठिन दौर में जहाँ पूरा देश भय और संकट से जूझ रहा था, वहीं डॉ. यादव ने अपनी सेवाओं से न जाने कितने मरीजों की जान बचाई। इसी वजह से उन्हें कई सामाजिक संस्थाओं ने “कोरोना योद्धा” के रूप में सम्मानित भी किया।
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मरीजों के लिए भगवान समान
डॉ. मनीष यादव अपनी सादगी, सरल व्यवहार और सेवा भावना के लिए जाने जाते हैं। वे मरीजों से न केवल मानवीय व्यवहार रखते हैं बल्कि उनकी छोटी-बड़ी समस्याओं को भी व्यक्तिगत रूप से सुनते हैं। अक्सर अपने मरीजों के फोन कॉल उठाकर उनकी दिक़्क़तें समझना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है।
अस्पताल में उपलब्ध दवाइयाँ और इंजेक्शन मरीजों को समय से उपलब्ध कराना उनका पहला प्रयास होता है। ज़रूरत पड़ने पर वे बाहर की दवा भी लिखते हैं, लेकिन हमेशा अच्छी गुणवत्ता और विश्वसनीय ब्रांड पर ही ज़ोर देते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि वे किसी भी तरह का कमीशन नहीं लेते।
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कोरोना काल में निभाई थी बड़ी ज़िम्मेदारी
कोरोना महामारी के समय डॉ. यादव ने दिन-रात अस्पताल में रहकर मरीजों की सेवा की। ऑक्सीजन की कमी और दवाओं की किल्लत के बीच भी उन्होंने अपने प्रयासों से कई ज़िंदगियाँ बचाई। मरीज और उनके परिजन आज भी उन्हें उस दौर का “भगवान समान डॉक्टर” मानते हैं।
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बदलते मौसम में बरतें सावधानियाँ : डॉ. मनीष यादव
मौसम बदलने के साथ ही वायरल बुखार, सर्दी-जुकाम, खाँसी और डायरिया जैसी बीमारियाँ तेजी से फैल रही हैं। डॉ. मनीष यादव ने लोगों से अपील की है कि थोड़ी-सी सावधानी रखकर इनसे बचा जा सकता है।
उन्होंने कहा
“लोगों को इस मौसम में खासतौर पर उबला या फ़िल्टर किया हुआ पानी पीना चाहिए। बासी और सड़क किनारे मिलने वाले खाने से परहेज करें। सर्दी-जुकाम होने पर लापरवाही न करें और डॉक्टर से तुरंत परामर्श लें। बच्चों और बुजुर्गों को बाहर की तैलीय और ठंडी चीज़ें खिलाने से बचाएँ। स्वच्छता और हाथ धोने की आदत सबसे कारगर उपाय है।”
डॉ. यादव के सुझाव
केवल उबला या फ़िल्टर पानी पिएँ।
तैलीय, मसालेदार और बाहर का खाना न खाएँ।
मौसमी फल और ताज़ा सब्ज़ियाँ आहार में शामिल करें।
सर्दी-जुकाम या बुखार को नज़रअंदाज़ न करें।
बच्चों और बुजुर्गों को संक्रमण से बचाने के लिए अतिरिक्त सावधानी रखें।
सेवा भावना से मिली पहचान
अपने समर्पित कार्य और मानवीय दृष्टिकोण के चलते डॉ. मनीष यादव आज गरीबों के लिए आशा की किरण बन गए हैं। उनका मानना है कि डॉक्टर का असली धर्म मरीज की पीड़ा को समझकर उसका इलाज करना है, न कि मरीज़ को आर्थिक बोझ देना। यही कारण है कि लोग उन्हें सच्चा “गरीबों का मसीहा” और “कोरोना योद्धा” कहकर सम्मानित करते हैं।




