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गरीबों का हक अफसरों की मिलीभगत में हो रहा हजम, कोटेदार बोले, हमें ही कम मिलता है तो पूरा कैसे दें राशन

गोदाम से ही घटा राशन, बारदाने के नाम पर अफसर-ठेकेदारों का गोलमाल

गरीबों का हक अफसरों की मिलीभगत में हो रहा हजम, कोटेदार बोले, हमें ही कम मिलता है तो पूरा कैसे दें राशन?

सुल्तानपुर।

 

लंभुआ तहसील क्षेत्र के गोथुआ जागीपुर गांव में दर्जनों कार्डधारकों ने घटतौली की शिकायत करके एक बड़ा खुलासा किया है। जांच की जद में आए कोटेदार ने स्वयं घटतौली का शिकार होना बताया है। कहा कि उसे गोदाम से ही कम राशन दिया जाता है।

 

दुकान तक राशन पहुँचाने वाले ठेकेदार और अफसरों की मिलीभगत से यह खेल लंबे समय से चल रहा है।
कोटेदार हनुमान वर्मा ने बताया कि हर महीने उन्हें करीब तीन कुंतल राशन कम दिया जाता है।

 

उन्होंने कहा कि “जब हमें ही कम राशन मिलता है, तो कार्डधारकों को पूरा देना संभव नहीं है।” कोटेदार का कहना है कि उन्हें बारदाना यानी बोरी का वजन के बराबर राशन अलग से नहीं दिया जाता। जबकि नियम के अनुसार प्रत्येक बोरी का वजन यानी बारदाना देना चाहिए।

 

बारदाने का वजन लगभग 3 कुंतल होता है, जिसे ठेकेदार हड़प लेता है।

कोटेदारों का आरोप है कि शिकायत करने पर अधिकारियों की ओर से उल्टा दबाव बनाया जाता है कि इस बारे में आवाज न उठाई जाए। कई कोटेदारों ने बताया कि बारदाना का राशन कभी उन्हें मिला ही नहीं।

इस बाबत पूर्ति निरीक्षक लंभुआ विभव श्रीवास्तव का कहना है कि

नियमानुसार सभी कोटेदारों को राशन और बारदाना दोनों दिया जाता है।

लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है। सवाल उठता है कि, झूठ कौन बोल रहा है? अधिकारी या कोटेदार? सच्चाई यह है कि बारदाने का हिस्सा ठेकेदार और अफसरों के पेट में समा रहा है, और इसका खामियाजा गरीब कार्डधारकों को भुगतना पड़ रहा है।

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