योगी महाराज का बना मंदिर पूजा अर्चना शुरू

ByAMIT Kumar pandey

Sep 19, 2022

यूं तो वैदिक काल में ज्योतिर्लिंगों की स्थापना के साथ भव्य मंदिरों के निर्माण का प्रचलन शुरू हुआ और समय-समय पर इनका स्वरूप और पूजा पद्धतियां बदलती रही.

लेकिन मंदिर का अर्थ होता है- मन से दूर कोई स्थान. यह किसी भगवान, या गुरु का भी स्थान यानी मंदिर हो सकता है. मंदिर का निर्माण आस्था के साथ संकल्प पूरा होने पर भी किया जाता है. मंदिर निर्माण करते समय लोग आस्था के अनुरूप मंदिर का निर्माण करते हैं. श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में भी एक ऐसे मंदिर का निर्माण किया गया जो जुड़ा तो है श्री राम मंदिर निर्माण के संकल्प से, लेकिन उसमें पूजा होगी यूपी के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की..

 

योगी के मंदिर के पीछे है यह बड़ा संकल्प

. वही भरतकुंड जहां श्री राम के वनवास के समय उनके भाई भरत ने उनकी खंडाऊ सिंहासन पर रखकर 14 वर्षों तक अयोध्या का राजकाज संभाला था. अब 2014 से योगी प्रचारक बने प्रभाकर मौर्य ने उनका मंदिर बनाया है. प्रभाकर का कहना है कि यह उनके संकल्प की पूर्ति का भी साक्षी है. दरअसल, उनका संकल्प था कि जो भी अयोध्या में श्री राम की जन्मभूमि पर उनका भव्य और दिव्य … मंदिर बनवाएगा, वह उसका मंदिर बनाएंगे. अब जब श्री राम का भव्य मंदिर बन रहा है तो उनका संकल्प पूर्ण हुआ. जन्मभूमि पर श्री राम मंदिर निर्माण के पीछे योगी आदित्यनाथ की बड़ी भूमिका रही है इसलिए उन्होंने संकल्प के अनुसार उनका मंदिर बनवाया है.

मंदिर की मूर्ति से इस तरह है योगी की समानता

मंदिर के निर्माण के समय आस्था और विश्वास के अनुरूप मंदिर में मूर्ति की स्थापना की जाती है. अब मंदिर निर्माण कराने वाले प्रभाकर मौर्य कहते हैं, ”योगी महाराज की लंबाई उनके अनुसार 5 फीट 4 इंच की है, इसलिए उन्होंने भी इतनी बड़ी मूर्ति उनके मंदिर में स्थापित की है. मूर्ति पर कपड़े कैसे हों, इसका भी ध्यान रखा गया है. इसीलिए जो कपड़े योगी आदित्यनाथ पहनते हैं, वैसे ही कपड़े उनकी मूर्ति के शरीर पर भी हैं. इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि मूर्ति देखते ही योगी आदित्यनाथ का अक्श मन में उभर आए. इस मूर्ति को प्रभाकर ने बाराबंकी जनपद के एक मूर्तिकार दोस्त से तैयार कराया है और इसके निर्माण में लगभग 2 माह का समय लगा है.

मंदिर में आरती पूजा के साथ बजते हैं योगी भजन

अयोध्या के योगी मंदिर में बाकायदा उनकी आरती और पूजा होती है. आरती के समय बाकायदा उन पर लिखे गीत भी बजते रहते हैं. यह गीत भी खुद प्रभाकर मौर्य ने ही लिखे हैं. यही नहीं, इस स्थान के प्रचार प्रसार के लिए ऑडियो  और वीडियो कैसेट भी बनाए जा रहे हैं.

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