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ASEAN Summit: ‘भारत हमें बहुत कुछ दे सकता है’, फिलीपींस के राष्‍ट्रपत‍ि ने बताया आस‍ियान का रक्षा कवच।

फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर ने आसियान शिखर सम्मेलन में भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की, भारत-आसियान रिश्ते नई ऊंचाई पर पहुंचे हैं।

दक्षिण चीन सागर में चीन के हमलों से तंग फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर का भारत प्रेम एक बार फ‍िर सामने आया. मलेशिया में 47वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान उन्‍होंने कहा, भारत आसियान को बहुत कुछ दे सकता है. हम समस्या हल करने के लिए भारत की ओर देख सकते हैं. साउथ चाइना सी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शुक्रिया कहते हुए फिलीपींस के राष्ट्रपति ने कहा, भारत का अंतरराष्ट्रीय कानून और नियमों के लिए हमेशा समर्थन काबिले तारीफ है. यह बयान भारत-आसियान रिश्तों में बड़ा श‍िफ्ट दिखाता है।

भारत-आसियान के रिश्ते वर्षों पुराने हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक्‍ट ईस्‍ट पॉल‍िसी ने इसे नए मुकाम पर पहुंचाया है. आस‍ियान देशों के साथ भारत ट्रेड कर रहा है. कल्‍चरल र‍िश्ते बढ़ रहे हैं. डिफेंस डील हो रही हैं. भारत आस‍ियान को भरोसा देने में कामयाब रहा है क‍ि उनकी हर जरूरत पर मजबूती के साथ खड़ा रहेगा. यही वजह है क‍ि आस‍ियान शिखर सम्मेलन में भारत हर साल हिस्सा लेता है. फिलीपींस जैसे देश साउथ चाइना सी में चीन से लड़ रहे हैं. इसलिए भारत का रूल ऑफ लॉ रुख उन्हें अच्छा लगता है. भारत बार-बाार स्‍वतंत्र और खुला इंडोपैस‍िफ‍िक की बात करता है. आसियान भारत का चौथा बड़ा ट्रेड पार्टनर है. 2024 में भारत और आस‍ियान के बीच 131 अरब डॉलर से ज्‍यादा का व्‍यापार हुआ. 25% विदेशी निवेश का स्रोत आस‍ियान है।

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भारत की आसियान में रुचि क्‍यों?

आसियान भारत के ल‍िए ग्‍लोबल साउथ का दरवाजा है. यहां 65 करोड़ लोग रहते हैं. जीडीपी 3.6 खरब डॉलर के बराबर है. आसियान-भारत के बीच एक ट्रेड डील हुई है और 2025 के आख‍िर तक व्‍यापार को 200 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्‍य है. भारत अलग सप्‍लाई चेन बनाना चाहता है. वह चीन से दूरी बना रहा है. इलेक्‍ट्र‍िक वेह‍िकल, सोलर एनर्जी जैसे क्षेत्रों में इन्‍वेस्‍टमेंट बढ़ा रहा है।

रणनीत‍िक तौर पर देखें तो ह‍िंद प्रशांत क्षेत्र में क्‍वाड आस‍ियान को ताकत देता है. क्‍वाड में भारत-अमेरिका-जापान-ऑस्ट्रेलिया साथ हैं. अक्‍सर आपने सुना होगा क‍ि साउथ चाइना सी में ऑस्‍ट्रेल‍िया या फ‍िर अमेर‍िका के युद्धपोत कूद गए हैं. साउथ चाइना सी में भारत नेविगेशन की आजादी की बात करता है. यह फिलीपींस और वियतनाम जैसे देशों के ल‍िए बड़ी राहत की बात है. यह उनकी आजादी से जुड़ा मसला है।

सांस्‍कृत‍िक तौर पर देखें तो आ‍स‍ियान देशों में 20 लाख प्रवासी भारतीय रहते हैं. बौद्ध-हिंदू विरासत भारत के ल‍िए ब्रांड एंबेसडर का काम करती है. अंगकोरवाट का मंद‍िर इसकी याद द‍िलाता है. हाल ही में भारत-आसियान ने डिजिटल ट्रांसफार्मेशन पर एक डील की है, जो डेटा सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।

भारत आस‍ियान के ल‍िए सुरक्षा कवच कैसे?

भारत का 11% एक्‍सपोर्ट आसियान देशों में ही है. हम इन देशों में कपड़ा, दवा, आईटी की चीजें भेजते हैं. 2025 में 20 अरब डॉलर इन्‍वेस्‍टमेंट का टारगेट है जो 5 लाख नई नौकरियां देगा. भारत ने 2024 में तूफान के दौरान आसियान को एक करोड़ डॉलर की मदद दी थी, जिससे भरोसा बनता है. साउथ चाइना सी में इंडियन नेवी मलाबार एक्‍सरसाइज कर चुकी है, जो आस‍ियान देशों के ल‍िए सुरक्षा कवच की तरह है. फिलीपींस जैसे देश भारत से आर्मी ट्रेनिंग ले रहे हैं. वैश्व‍िक मुद्दों पर ये देश भारत की आवाज बनकर खड़े हो जाते हैं. लेकिन कुछ चुनौत‍ियां भी हैं. जैसे चीन की बेल्ट एंड रोड पहल ने आसियान में 500 अरब डॉलर निवेश किया, जबकि भारत का सिर्फ 70 अरब डॉलर का है. इसी के दम पर वह देशों को अपने पाले में करने की कोश‍िश कर रहा है. लेकिन भारत की एक्‍ट ईस्‍ट पॉल‍िसी उन्‍हें चीन की ओर जाने नहीं दे रही।

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