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PM Modi: बिहार में PM मोदी ने क्यों शुरू की ‘P-पॉलिटिक्स’… महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात और उत्तराखंड से क्या है कनेक्शन?

PM Modi Rally in Bihar Chunav 2025: बिहार चुनाव के चुनावी शंखनाद में पीएम मोदी ने समस्तीपुर की रैली से 'पी-पॉलिटिक्स' अर्थात् परंपरा पॉलिटिक्स का नारा देकर एक बड़ी रणनीति का संकेत दिया है. क्या बिहार चुनाव में पीएम मोदी का महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात और उत्तराखंड वाला दांव बिहार में काम करेगा?

समस्तीपुर. बिहार चुनाव 2025 में पीएम मोदी ने समस्तीपुर की अपनी पहली रैली में ही नया पॉलिटिक्स शुरू कर दिया है. पीएम मोदी ने इस रैली में पी-पॉलिटिक्स का जिक्र किया है, पी यानी ‘परंपरा पॉलिटिक्स’. क्या है पी-पॉलिटिक्स के मायने और इसका महाराष्ट्र, हरियाणा,गुजरात और उत्तराखंड से क्या है लिंक? पीएम मोदी के P-Politics से बिहार की जनता पर कितना असर होने वाला है? बिहार विधानसभा चुनाव का चुनावी शंखनाद करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समस्तीपुर की रैली में एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है. पीएम मोदी का यह बयान कोई चुनावी जुमला नहीं बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का संकेत है, जिसका संबंध महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात और उत्तराखंड जैसे राज्यों में बीजेपी के सफल राजनीतिक प्रयोगों से है।

पीएम मोदी ने समस्तीपुर की रैली में परंपरा शब्द का प्रयोग किया. राजनीतिक जानकारों की मानें तो पीएम मोदी ने ‘पी-पॉलिटिक्स’ पॉवर पॉलिटिक्स की झलक है. देश के दूसरे कई राज्यों में परंपरा रही है कि हर पांच साल में सत्ता बदल जाती है. शायद पीएम मोदी लंबे समय से सीएम नीतीश कुमार की सत्ता में रहने के कारण उपजे एंटी-इनकंबेंसी से था. पीएम मोदी ने बड़ी चालाकी से न केवल सीएम नीतीश का बचाव किया, बल्कि ये भी बताया कि बीजेपी ने हाल के वर्षों में कई राज्यों में परंपरा पॉलिटिक्स यानी हर पांच साल में सत्ता बदलने वाली फॉर्मूले को ध्वस्त कर दिया है. राज्य में एंटी-इनकम्बेंसी और जातिगत समीकरण चुनाव का सबसे बड़ा फैक्टर होता है. पीएम मोदी का मकसद इस परंपरा को तोड़ना है।

पीएम मोदी का नया ‘मोहरा’

पीएम मोदी का यह बयान बिहार के मतदाताओं से सीधी अपील है कि वे जाति और एंटी-इनकम्बेंसी की परंपरागत राजनीति से बाहर निकलकर विकास, सुशासन और डबल इंजन की सरकार के लिए वोट करें. यह नारा आरजेडी के पारंपरिक ‘जंगलराज’ की याद दिलाते हुए युवाओं और महिलाओं को सीधे तौर पर एनडीए की तरफ मोड़ने का प्रयास है. महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात और उत्तराखंड में बीजेपी हाल के वर्षों में यह काम कर चुकी है. महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात और उत्तराखंड जैसे राज्यों में हर पांच साल में सत्ता बदलने की परंपरा रही है. महाराष्ट्र और उत्तराखंड में बीजेपी ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाकर इस चक्र को तोड़ा था.

क्या बिहार में पी-पॉलिटिक्स काम करेगा?

इन राज्यों में भी क्षेत्रीय दलों और गठबंधन की परंपरा को तोड़ते हुए बीजेपी ने अपना आधार बढ़ाया है और सफल गठबंधन सरकारें बनाई हैं. बिहार में भी बीजेपी जेडीयू के साथ मिलकर क्षेत्रीय जातिगत प्रभाव को कम करके विकास पर फोकस करना चाहती है. यह संकेत यह भी देता है कि अगर सीटों की संख्या बदलती है तो पार्टी नेतृत्व के मामले में भी कोई नया प्रयोग हो सकता है. पीएम मोदी के इस नारे का असर बिहार की जनता के उस वर्ग पर सबसे अधिक होगा, जो अब जातिगत राजनीति से ऊब चुका है और विकास की चाह रखता है।

अति पिछड़ा वर्ग यानी EBC वर्ग से आने वाले कर्पूरी ठाकुर की जन्मस्थली समस्तीपुर से रैली की शुरुआत करके पीएम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनका फोकस ईबीसी वोटर पर है. उन्हें भी जातिगत परंपरा से हटकर विकास के नाम पर वोट देने के लिए प्रेरित किया जाएगा. ऐसे में यह वक्त बताएगा कि पीएम मोदी का ‘पी-पॉलिटिक्स’ का नारा बिहार की चुनावी जंग को परंपरागत जाति-आधारित लड़ाई से बदलकर एक विकास-आधारित मुद्दे पर लाने की कोशिश है।

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