शिवसेना ने तंज करते हुए सवाल किया कि ‘मंत्री पद की शपथ लेकर बागियों ने गंगा नदी में डुबकी लगा ली है, लेकिन क्या वे विश्वासघात के पाप को धो पाएंगे?’ यह भी लिखा कि शपथ दिलाते समय राज्यपाल के चेहरे पर ऐसे भाव थे, मानो वे कोई दैवीय अनुष्ठान कर रहे हों।’
विस्तार
महाराष्ट्र में मंगलवार को हुए शिंदे मंत्रिमंडल के विस्तार को शिवसेना ने लोकतंत्र व संविधान की हत्या करार दिया है। अपने मुखपत्र ‘सामना’ में पार्टी ने कहा कि बागी विधायकों को अयोग्य करार देने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और इसी दौरान उन्हें मंत्री पद की शपथ दिला दी गई है। सामना में शिवसेना ने तंज करते हुए सवाल किया कि ‘मंत्री पद की शपथ लेकर बागियों ने गंगा नदी में डुबकी लगा ली है, लेकिन क्या वे विश्वासघात के पाप को धो पाएंगे?’ यह भी लिखा कि ‘मंत्रियों को शपथ दिलाते समय महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के चेहरे पर ऐसे भाव थे, मानो वे कोई दैवीय अनुष्ठान कर रहे हों।’ मराठी में निकलने वाले ‘सामना’ में शिवसेना ने सीएम एकनाथ शिंदे पर भी मंत्रिमंडल विस्तार से पहले सात बार दिल्ली जाने पर निशाना साधा गया है। शिवसेना ने लिखा कि पिछले एक माह में शिंदे सात बार दिल्ली गए और हर बार मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा की।
39 बागियों पर अयोग्यता की तलवार शिंदे मंत्रिमंडल का सीएम पद के लिए एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम पर देवेंद्र फडणवीस की शपथ के 41 वें दिन मंगलवार को विस्तार किया गया था। इसमें शिवसेना के बागी शिंदे गुट और भाजपा के नौ-नौ मंत्री, इस तरह कुल 18 मंत्री बनाए गए हैं। इस विस्तार को लेकर शिवसेना ने कहा कि जब बागियों को अयोग्य करार देने का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हो तब उन्हें शपथ दिलाना लोकतंत्र व संविधान की हत्या है। शिंदे और 39 शिवसेना बागियों के खिलाफ अयोग्यता की तलवार अब भी लटक रही है।
शिवसेना ने कहा कि विश्वासघात का पाप कभी नहीं धुलेगा। पार्टी ने सवाल किया कि मंत्रिमंडल विस्तार इतने लंबे समय बाद क्यों किया गया? जब बागी विधायकों की अयोग्यता पर 12 अगस्त को फैसला आना है तो मंत्री पद की शपथ क्यों दिलाई गई? इसका मतलब है कि उन्हें न्यायपालिका का कोई डर नहीं है। यह उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है कि सब कुछ उनकी इच्छा के अनुसार होगा।
संजय राठौड़ को मंत्री बनाने पर सवाल सामना के संपादकीय ने संजय राठौड़ को मंत्री बनाने को लेकर भाजपा की आलोचना की गई है। पिछले साल भाजपा ने राठौड़ के खिलाफ एक आक्रामक अभियान शुरू किया था। वे उस समय उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में मंत्री थे, क्योंकि उनका नाम एक महिला की आत्महत्या से जुड़ा था।इसके बाद संजय राठौड़ को मंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए बाध्य होना पड़ा था।