रिपोर्ट, गनेश माहौर
माताओ ने रखा संतानों की दीर्घायु के लिए अहोई माता का निर्जला व्रत
मथुरा। अहोई अष्टमी का त्योहार पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया गया पुत्रवती महिलाओं ने अपनी संतानों की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत धारण कर अपनी संतानों की सुखमय जीवन की मंगल कामना की अहोई माता की पूजा अर्चना कर शाम को तारों को अर्ध देकर व्रत खोला अहोई अष्टमी का व्रत दीपावली से 8 दिन पहले आता है इसलिए इस व्रत को अहोई आंठे भी कहते हैं इस व्रत को माताएं अपनी संतान की लंबी आयु,सुखमय जीवन की मंगल कामना के लिए करती हैं इस व्रत के पीछे मान्यता है संतानों के जीवन के कष्ट मिटाना अहोई का तात्पर्य है कि अनहोनी को भी बदल डालना करवा चौथ के व्रत की तरह इस व्रत को तारों को देखकर खोला जाता है यदि निसंतान महिलाएं इस व्रत को करती है तो अहोई माता की कृपा से उन्हें संतान की प्राप्ति होती है।अहोई अष्टमी व्रत के दिन प्रातः उठकर स्नान कर पूजा पाठ करके अपनी संतान की दीर्घायु एवं सुखमय जीवन की मंगल कामना करते हुए अहोई माता के व्रत का संकल्प करें अहोई माता मेरी संतान की दीर्घायु स्वास्थ्य एवं सुखी रखें माता पार्वती की पूजा करें अहोई माता की पूजा के लिए गेरू से दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएं और साथ में सेह, और उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं शाम को इन चित्रों की पूजा करें अहोई पूजा में यह भी विधान है कि चांदी की अहोई बनाई जाती है जिसे सेह या स्याहु भी कहते हैं सेह की पूजा रोली अक्षत दुध वा भात से की जाती है पूजा आप चाहे जिस विधि से करें लेकिन दोनों में पूजा के लिए कलश में जल भरकर रख लें पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुने और सुनाएं पूजा के पश्चात सासू मां के पैर छुए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें तारों की पूजा करें और जल चढ़ाएं इसके पश्चात अन्न जल ग्रहण करें इससे अहोई माता प्रसन्न होकर दीर्घायु होने का आशीर्वाद प्रदान करती है।