“मैं हार गया…”: सुसाइड नोट के 481 शब्द और 4 बेटियों का दर्द, BLO की आत्महत्या की पूरी दास्तां!!
विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कार्य के दबाव में मुरादाबाद के शिक्षक सर्वेश सिंह ने की आत्महत्या। 3 पन्नों के सुसाइड नोट में लिखा, "मैं हार गया... जीना चाहता हूं, पर क्या करूं।" 2:40 मिनट के वीडियो में रोते हुए मांगी पत्नी से माफी। बीएलओ ड्यूटी और कार्यभार को लेकर पुलिस जांच जारी है।

मुरादाबाद। विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) कार्य के दबाव के चलते खुदकुशी करने वाले शिक्षक सर्वेश सिंह तीन पेज के सुसाइड नोट में 481 शब्दों के जरिये दर्द भरी दास्तां बयां कर गए। ना सिर्फ सुसाइड नोट वरन मौत से पहले बनाई दाे मिनट 40 सेकेंड की वीडियो को देख उनकी व्यथा इस बात से समझी जा सकती है कि सर्वेश रोने के आगे बोल नहीं पा रहे थे।
सर्वेश की मौत की कहानी को समझने के लिए सुसाइड नोट और वीडियो ही काफी है। सुसाइड नोट में वह लिखते हैं कि पहली बार यह काम मिला। इसकी जानकारी न होने के कारण दिन-रात मेहनत के बाद भी अपना टारगेट पूरा नहीं कर पा रहा। इससे बहुत परेशान हूं मानसिक संतुलन खराब हो गया है, जिससे आत्मघाती कदम उठाना पड़ रहा है। मेरे परिवार ने बहुत हौसला बढ़ाया, मगर मैं हार गया।
कहने को तो बहुत कुछ बाकी है, पर समय बहुत कम है। मैं बहुत बेचैन, घुटन में एवं डरा महसूस कर रहा हूं। मेरी चार छोटी बेटियां हैं। बेटियां का ख्याल रखना। बहुत मासूम हैं। मैं लिखते समय बहुत पीड़ा महसूस कर रहा हूं…। अगर समय ज्यादा होता तो शायद मैं इस कार्य को पूर्ण कर देता। लेकिन यह समय मेरे लिए पर्याप्त नहीं था। मुझे माफ कर देना। मैं जीना तो चाहता हूं, पर क्या करूं।
अपना ख्याल रखना। इसका केवल मैं ही जिम्मेदार हूं। किसी का कोई दोष नहीं है। उन्होंने लिखा है कि विद्यालय के बच्चों को मेरा बहुत-बहुत प्यार। मन लगाकर पढ़ना मेरे बच्चों। दिल बहुत दुख रहा है। सर्वेश के घर वाले बताते हैं कि उनकी पिछले पांच दिनों से स्थिति यह थी कि हर समय डर बना रहता था। अनहोनी का डर सता रहा था, इसलिए हर समय कोई न कोई उनके साथ रह रहा था। मगर, कोई उन्हें बचा ना सका। इधर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सर्वेश की हैंगिंग से मौत की पुष्टि हुई है।
पोस्टमार्टम हाउस पर अलर्ट रही पुलिस…लगा शिक्षकों का जमावड़ा
सर्वेश की मौत के बाद पोस्टमार्टम हाउस पर पुलिस अलर्ट मोड पर रही। इधर, साथी शिक्षक के चले जाने से शिक्षक भी एकजुट हो गए। पोस्टमार्टम हाउस पर धीरे-धीरे शिक्षकों की भीड़ लग गई। स्वजन भी पहुंच गए। इस बीच शिक्षक सर्वेश की कार्यशैली की चर्चा करते दिखे। कहा कि वह अपने कार्य को लेकर बेहद गंभीर है।
अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि 70 प्रतिशत के ऊपर वह डाटा फीडिंग का कार्य कर चुके थे। इस बीच राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं का भी पहुंचना शुरू हो गया। पोस्टमार्टम हाउस पर कोई असहज स्थिति ना बने, इसलिए राजनीतिक दलों के लोगों को ज्यादा देर रुकने नहीं दिया गया।
पहली पत्नी ने भी की थी खुदकुशी
पुलिस के अनुसार, जांच में सामने आया कि सर्वेश की पहली पत्नी ने खुदकुशी कर ली थी। शादी के एक साल बाद ही पत्नी की मृत्यु के बाद सर्वेश ने दूसरी शादी की थी। जिससे चार बच्चे हैं।
मैं सर्वेश…बीएलओ ड्यूटी स्वेच्छा से करना चाहता हूं
सर्वेश की पत्नी बबली के अनुसार, एसआइआर शुरू होने के सात-आठ दिन बाद पति को ड्यूटी पर लगाया गया। कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई। फिर काम न करने पर जेल की धमकी दी जाने लगी। इससे पति परेशान रहने लगे जिसके बाद उन्होंने आत्मघाती कदम उठा लिया। पत्नी के इस आरोपों के बीच शिक्षा विभाग से जुड़े अफसर बताते हैं कि सर्वेश काम के प्रति बेहद संजीदा थे।
वह ट्रेनिंग में भी शामिल हुए। एप की भी ट्रेनिंग ली। इतना ही नहीं जिस बूथ का उन्हें बीएलओ नियुक्त किया गया था, उससे पहले उस बूथ की जिम्मेदारी सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय मिलक जाहिदपुर रिंकू यादव देख रहे थे। निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी ठाकुरद्वारा को रिंकू की ओर से पत्र लिखा गया। जिसमें उनके स्थान पर सर्वेश की स्वेच्छानुसार ड्यूटी लगाने की बात कही।
पत्र में ही अपने हस्ताक्षर के साथ सर्वेश ने लिखा कि मैं सर्वेश सिंह रिंकू यादव के स्थान पर उक्त बीएलओ ड्यूटी स्वेच्छा से करना चाहता हूं। बाकायदा इपिक आइडी, मोबाइल नंबर, अकाउंट नंबर की जानकारी भी दी गई। इंटरनेट मीडिया पर यह पत्र प्रसारित भी है। पुलिस इस पत्र की भी जांच कर रही है।
बीएलओ 75 प्रतिशत कार्य पूरा कर चुके थे, यह जिले के औसत से अधिक है। कार्य गुणवत्तापूर्ण था। जिससे ऐसा प्रतीत नहीं होता कि कार्य करने में कोई कठिनाई आ रही थी। बीएलओ के सुपरवाइजर भी उनकी समस्याओं को लेकर सजग थे। सहायता के लिए गांव की एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को लगाया गया था। ऐसे में अब तक कहीं नहीं लगा कि कोई समस्या थी। शेष पुलिस की टीम जांच कर रही है जिसमें सच्चाई सामने आएगी। पत्नी की मृतक आश्रिम कोटे से नौकरी, पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता व बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जा रही है।
– अनुज सिंह, जिला निर्वाचन अधिकारी




